योग प्राचीन भारतीय परंपरा का हिस्सा है, जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ बनाए रखने का सरल साधन है। उन्हीं आसनों में से एक है उत्तानपादासन (Uttanpadasana), जिसे Raised Feet Pose भी कहा जाता है।
यह आसन विशेष रूप से पेट की चर्बी कम करने, पाचन सुधारने, रीढ़ को मजबूत करने और शरीर में ऊर्जा बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
अगर आप अपने पेट, कमर और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो उत्तानपादासन आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
उत्तानपादासन क्या है? (What is Raised Feet Pose?)
“उत्तान” का अर्थ है ऊपर उठाना और “पाद” का अर्थ है पैर। इस आसन में व्यक्ति अपनी दोनों टांगों को सीधा ऊपर उठाता है और कुछ समय तक उसी स्थिति में रहता है।
इसे अंग्रेज़ी में Raised Leg Pose या Raised Feet Pose कहा जाता है।
उत्तानपादासन करने की विधि (Steps to do Raised Feet Pose )
Step 1: प्रारंभिक स्थिति
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योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
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हाथों को शरीर के बगल में रखें और हथेलियाँ नीचे की ओर रहें।
2: श्वास नियंत्रण
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गहरी सांस लें और धीरे-धीरे दोनों पैरों को 30 से 60 डिग्री तक ऊपर उठाएँ।
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पीठ और कंधे ज़मीन पर टिके रहें।
3: स्थिति बनाए रखें
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पैरों को सीधे रखें और इस आसन में 20–30 सेकंड तक रहें।
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शुरुआती लोग 10 सेकंड से शुरुआत करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
4: सामान्य स्थिति में आएं
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सांस छोड़ते हुए पैरों को धीरे-धीरे वापस ज़मीन पर ले आएं।
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3–5 बार इस आसन को दोहराएँ।
उत्तानपादासन के फायदे (Benefits of Uttanpadasana)
पाचन सुधारता है
यह आसन पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है और गैस, कब्ज़ जैसी समस्याओं से राहत देता है।
पेट की चर्बी कम करने में सहायक
लगातार अभ्यास करने से पेट और कमर की अतिरिक्त चर्बी घटती है।
पैरों और रीढ़ को मजबूत करता है
यह आसन पैरों की मांसपेशियों, जांघों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
रक्त संचार में सुधार
पैर उठाने से हृदय और मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह संतुलित होता है।
पीठ दर्द में आराम
कमर और पीठ की मांसपेशियों को खींचने से पीठ दर्द में लाभ होता है।
एकाग्रता और मानसिक शांति
गहरी सांसों के साथ करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
उत्तानपादासन के नुकसान (Side Effects of Uttanpadasana)
हर योग आसन की तरह अगर इसे गलत तरीके से या बिना सावधानी के किया जाए तो नुकसान भी हो सकता है।
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हर्निया, अल्सर या पेट की सर्जरी वाले लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
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गर्भवती महिलाएँ इसे बिल्कुल न करें।
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पीठ की गंभीर समस्या, स्लिप डिस्क या हार्ट डिजीज वाले लोग डॉक्टर से सलाह लें।
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बहुत देर तक करने से मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है।
सावधानियाँ (Precautions)
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हमेशा योग विशेषज्ञ की देखरेख में शुरुआत करें।
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खाली पेट करें या भोजन के 3 घंटे बाद।
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धीरे-धीरे पैरों को उठाएँ और वापस लाएँ, झटके से न करें।
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शुरुआत में 10 सेकंड से अधिक देर तक न रुकें।
FAQs
क्या उत्तानपादासन रोज़ाना किया जा सकता है?
हाँ, इसे रोज़ाना सुबह खाली पेट करना लाभकारी है।
उत्तानपादासन कितनी देर तक करना चाहिए?
शुरुआती लोग 10–15 सेकंड तक करें और धीरे-धीरे 1 मिनट तक बढ़ाएँ।
क्या उत्तानपादासन से पेट की चर्बी कम होती है?
हाँ, नियमित अभ्यास से पेट और कमर की चर्बी कम होती है।
किन लोगों को उत्तानपादासन नहीं करना चाहिए?
गर्भवती महिलाएँ, हर्निया, अल्सर या स्लिप डिस्क वाले लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
क्या यह आसन बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित है?
बच्चे आसानी से कर सकते हैं, लेकिन बुजुर्गों को योग शिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तानपादासन (Uttanpadasana) एक सरल लेकिन प्रभावशाली योगासन है। इसके नियमित अभ्यास से पाचन बेहतर होता है, पेट की चर्बी कम होती है, रीढ़ और पैरों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और मानसिक शांति भी मिलती है।हालाँकि, इसे करने से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है। सही समय, सही तकनीक और नियमित अभ्यास से यह आसन आपके जीवन को स्वस्थ और संतुलित बना सकता है।